किसी कार्य का तरीका महत्वपूर्ण है, लेकिन भोजन चबाने के तरीके पर लंबे समय तक सवाल नहीं उठाए गए। हाल में इस पर ध्यान दिया गया है, जबकि भोजन के गुणों पर चर्चा करने वालों ने भी इसे नजरअंदाज किया। जैसे इंजन में ईंधन डालना एक विशेष कार्य है, जिसे सही तरीके से करना जरूरी है, अन्यथा इंजन ठीक से काम नहीं करेगा। इसी तरह, पेट भरने के लिए यह समझना आवश्यक है कि कौन सी खाद्य सामग्री कितनी मात्रा में और किस प्रकार से खानी चाहिए, ताकि शरीर को अधिकतम लाभ मिल सके।
मुँह पाचन तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है,
जिसके दो मुख्य कार्य हैं:
1. भोजन को चबाना और
2. लार से नम करना।
भोजन का सही चबाना
आवश्यक है, क्योंकि यदि दाँत अपना काम भली प्रकार नहीं
करते,
तो वह आमाशय और अन्तड़ियों को करना पड़ेगा और आँतों पर दबाव
बढ़ता है। यदि मोटा भोजन पेट में भीतर जायेगा, तो पाचन क्रिया इतनी धीमी
हो जायेगी,
कि उसमें बदहजमी और सड़ाँध पैदा हो जायेगी, और मल का एक ढेर पेट के भीतर जमा हो जायेगा। जिससे स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति
को बहुत हानि पहुँचती है। बिना चबाए वह शरीर के लिए उपयोगी नहीं होता।
दूसरा कार्य मुँह की रासायनिक प्रक्रिया है,
जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुँह में भोजन का पहला चरण शुरू होता है,
जहाँ न केवल उसे चबाया जाता है, बल्कि उसे
रासायनिक रूप से भी परिवर्तित किया जाता है। सर हेनरी टामसन के अनुसार, पेट वह स्थान है जहाँ भोजन को चबाकर और रसायनों के साथ मिलाकर पचाने के
लिए भेजा जाना चाहिए। यह प्रक्रिया मुँह में शुरू होती है, जहाँ
लार ग्रंथियाँ भोजन के साथ मिलकर उसे नरम और पचाने योग्य बनाती हैं।
नरम चीजें जैसे दूध और हलुवा आदि आसानी से खाई जा सकती हैं,
क्योंकि ये पहले से ही पचने में आसान होती हैं और उन्हें अधिक चबाने
की आवश्यकता नहीं होती। परंतु कठोर पदार्थों को अच्छी तरह चबाना चाहिए, ताकि वे छोटे टुकड़ों में टूट जाएँ और पाचन के लिए अधिक प्रभावी बन सकें।
चबाने की प्रक्रिया न केवल भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ती है, बल्कि यह लार के साथ मिलकर उसे रासायनिक रूप से भी परिवर्तित करती है। यह रासायनिक
प्रक्रिया न केवल पाचन के लिए आवश्यक है, बल्कि यह संपूर्ण
स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है।
यह एक साधारण तथ्य है कि चबाने से पाचन प्रक्रिया में
महत्वपूर्ण सहायता मिलती है। हमें अपने भोजन को अच्छी तरह चबाने की आदत डालनी
चाहिए, खासकर जब हम मैदा युक्त चीजें खाते हैं,
ताकि वह आमाशय में सही तरीके से पच सके। चबाने से भोजन के अणु
अलग-अलग हो जाते हैं, जिससे पाचन में आसानी होती है।
जहाँ पाचन प्रक्रिया प्रभावी होती है,
वहाँ मल का उत्पादन कम और आंतों में सड़ने वाली गंदगी की मात्रा
न्यूनतम होती है। सही पाचन तंत्र से शरीर अधिक पोषक तत्व अवशोषित करता है, जिससे ऊर्जा और शक्ति मिलती है। इसके परिणामस्वरूप, मल
का उत्पादन और अपशिष्ट का सड़ना कम होता है।
गाय, भेड़-बकरी, और घोड़े
की लीद में दुर्गंध नहीं होती, जबकि मानव मल में अधिक होती
है। इसका कारण यह है कि ये जानवर अपने भोजन को चबाते हैं, जिससे
पाचन में आसानी होती है।
मल
की मात्रा का कम होना एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संकेत है, जो सही पाचन प्रक्रिया को दर्शाता है। यह कब्ज और पेचिश
जैसी समस्याओं के जोखिम को कम करता है, खासकर उन लोगों के लिए जो भोजन को अच्छी तरह चबाते हैं।
चबाने से न केवल पाचन में मदद मिलती है, बल्कि स्वाद अनुभव भी बेहतर होता है, क्योंकि भोजन के संपर्क में आने से स्वाद ग्रंथियों को
सक्रिय किया जाता है। यदि भोजन ठीक से नहीं चबाया जाता, तो उसका असली स्वाद नहीं मिल पाता। यह प्रक्रिया तब शुरू
होती है जब ग्रास मुँह में जाता है।
रसना शक्ति, जिसे
स्वाद की शक्ति कहा जाता है, मानव शरीर में महत्वपूर्ण है।
यह न केवल भोजन के स्वाद को पहचानती है, बल्कि पाचन
प्रक्रिया को भी प्रभावित करती है। खटाई, मिर्च और मसाले
जैसे तीखे पदार्थ रसना शक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, क्योंकि इनमें पोषण तत्व नहीं होते और कभी-कभी उनके खाने से जलन (दाह)
पैदा हो जाती है। ये पाचन को कमजोर कर सकते हैं। कई लोग भोजन को तब तक स्वादिष्ट
नहीं मानते जब तक उसमें अधिक मिर्च या मसाले न हों, जो
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
भोजन को अच्छी तरह चबाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि
इससे पित्त का उत्पादन बढ़ता है, जो पाचन में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डॉक्टर हेरी कैम्बल के अनुसार, चबाने से मेदे पर प्रभाव पड़ता है, जिससे पित्त का
निर्माण अधिक होता है। चबाने से भोजन के कण छोटे होते हैं और यह लार के साथ मिलकर
एक गाढ़ा मिश्रण बनाता है, जिससे मेदे को संकेत मिलता है कि
भोजन आ रहा है। पित्त, जो यकृत द्वारा निर्मित होता है,
खासकर वसा के पाचन में मदद करता है। इस प्रकार, चबाने की प्रक्रिया पाचन तंत्र को अधिक प्रभावी बनाती है।
भोजन को अच्छी तरह चबाने के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह न
केवल भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ता है, बल्कि
चेहरे और मसूड़ों में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, जिससे दांतों
और मसूड़ों की सेहत में सुधार होता है। यह नाक के क्षेत्र में भी रक्त संचार को
सुचारू बनाता है, जिससे सर्दी, एलर्जी
और साइनसाइटिस जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है। डॉक्टर कैम्बल के अनुसार,
चबाने से हृदय की धड़कन तेज होती है, जो रक्त
प्रवाह को उत्तेजित करती है और शरीर को सक्रिय और स्वस्थ बनाए रखती है।
भोजन को ध्यानपूर्वक चबाने का महत्व केवल स्वाद और पोषण तक
सीमित नहीं है, बल्कि अच्छी तरह चबाने से पाचन बेहतर होता
है और मस्तिष्क को संतोष का संकेत मिलता है कि हम भरपूर खा चुके हैं, चबाने से भोजन के कण छोटे होते हैं, जिससे पाचन
एंजाइमों के लिए उन्हें पचाना आसान हो जाता है और पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक
प्रभावी होता है। धीरे-धीरे खाने से हम अधिक खाने से बच सकते हैं, जिससे वजन नियंत्रण में मदद मिलती है।
ईश्वर ने मनुष्य के हृदय में जो प्रवृत्ति स्थापित की है,
वह उसकी स्वाभाविक आवश्यकताओं को समझने और पूरा करने की क्षमता को
दर्शाती है। यदि इस प्रवृत्ति को प्रकट होने का पूरा अवसर मिले, तो मनुष्य अपने शरीर की आहारिक आवश्यकताओं को स्वाभाविक रूप से पूरा कर
सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है। मनुष्य की
आहारिक आवश्यकताओं का निर्धारण उसके स्वभाव, जीवनशैली,
और शारीरिक गतिविधियों पर निर्भर करता है। हर व्यक्ति की शारीरिक
संरचना और ऊर्जा की आवश्यकताएँ भिन्न होती हैं, इसलिए यह
आवश्यक है कि वे अपने शरीर की सुनें और समझें कि उन्हें किस प्रकार का और कितनी
मात्रा में भोजन चाहिए।
अरनिस्ट वेन सोमिरन का यह कथन कि "जो लोग अपने भोजन को
अच्छी तरह चबाकर खाते हैं, मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूँ कि वे जल्दी
ही अपने शरीर की आहारिक आवश्यकताओं को समझ सकेंगे," इस
बात को स्पष्ट करता है कि भोजन का सही सेवन और उसकी प्रक्रिया में ध्यान देने से
व्यक्ति अपने शरीर की आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझ सकता है। जब हम अपने भोजन
को चबाते हैं, तो न केवल हम उसे बेहतर तरीके से पचाते हैं,
बल्कि हम अपने शरीर के संकेतों को भी समझने में सक्षम होते हैं। यह
ध्यान रखना आवश्यक है कि भूख कभी पूरी तरह से समाप्त नहीं होती। यह एक प्राकृतिक
प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर की आवश्यकताओं को दर्शाती है।
इसलिए पेट भरने के लिए यह समझना आवश्यक है कि कौन सी खाद्य सामग्री कितनी मात्रा में और किस प्रकार से खानी चाहिए, ताकि शरीर को अधिकतम लाभ मिल सके।
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