5/22/25

"चार्ली चैपलिन का ऐतिहासिक भाषण | Charlie Chaplin's historical speech The Great Dictator Explained in Hindi"

"चार्ली चैपलिन का ऐतिहासिक भाषण | इंसानियत, आज़ादी और उम्मीद की सबसे ताक़तवर आवाज़ | The Great Dictator Explained in Hindi"

नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपसे एक ऐसी बात साझा करना चाहता हूँ, जो सीधे दिल से निकलती है —
यह एक आवाज़ है इंसानियत की… एक पुकार है आज़ादी की।
ये शब्द हैं — चार्ली चैपलिन की फ़िल्म The Great Dictator के अंतिम भाषण से,

मुझे सम्राट नहीं बनना… मुझे सत्ता नहीं चाहिए।
मैं किसी पर राज नहीं करना चाहता, किसी को कुचलना नहीं चाहता।
अगर मैं कुछ चाहता हूँ…
तो बस सबकी मदद करना —

यहूदी हो या गैर-यहूदी, गोरे हों या काले — हम सब इंसान हैं… एक जैसे।
हम सब एक-दूसरे की मदद करना चाहते हैं, क्योंकि हम ऐसे ही बने हैं।
हम एक-दूसरे की खुशियों में जीना चाहते हैं — दुःखों में नहीं।

इस धरती पर हर किसी के लिए जगह है,
ये धरती इतनी समृद्ध है कि सभी की ज़रूरतें पूरी कर सकती है।
लेकिन अफ़सोस… हमने रास्ता भटका दिया है।
लालच ने हमारी आत्मा को जहर से भर दिया है…
नफ़रत की दीवारें खड़ी हो गई हैं।

हम मशीनों से घिर गए हैं,
लेकिन हमें इंसानियत चाहिए।
हमारे पास विज्ञान है… लेकिन समझ नहीं।
हमारे पास बुद्धि है… लेकिन करुणा नहीं।

हम बहुत सोचते हैं… लेकिन बहुत कम महसूस करते हैं।

साथियों!

हमें फिर से इंसान बनना होगा। हमें दया चाहिए, भाईचारा चाहिए।
हमें एक ऐसी दुनिया बनानी है जहाँ हर इंसान को काम मिले, हर बुज़ुर्ग को सुरक्षा मिले, और हर बच्चा मुस्कुरा सके।

सैनिकों!

बंदूकें उठाने वालों! तानाशाहों के लिए मत लड़ो! वो तुमसे नफ़रत करते हैं, तुम्हें गुलाम बनाते हैं, तुम्हारे दिमाग को कंट्रोल करते हैं…
तुम्हारा जीवन चुरा लेते हैं।

मत बनो उनकी मशीनें। तुम इंसान हो!

तुम्हारे दिलों में इंसानियत है —
प्यार है, करुणा है। नफरत से नहीं, प्यार से जीने का वक्त आ गया है।

हमें मिलकर एक नई दुनिया बनानी है, जहाँ लोकतंत्र हो, आज़ादी हो, सम्मान हो।
और यही समय है — जब हम सब एक होकर कहें:

नफ़रत नहीं चाहिए — इंसानियत चाहिए। तानाशाह नहीं चाहिए — बराबरी चाहिए। डर नहीं चाहिए — आज़ादी चाहिए।

धन्यवाद!


"आइए हम सब मिलकर एक ऐसी दुनिया बनाएं, जहाँ हम फिर से इंसान कहलाने लायक बन सकें।

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