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10/6/15

इन कारणों से नहीं मिल पाती है सफलता

अक्सर लोग अपनी ताकत को लेकर आशंकित रहते हैं। हम जब अपने आप पर, अपनी शक्ति पर शंका करने लगते हैं तो यहीं से हमारी असफलता की शुरुआत हो जाती है। 'विजय हमेशा आत्मविश्वास से हासिल होती है।' अगर हमें खुद पर विश्वास नहीं हो तो छोटी-छोटी समस्याओं से ही हम घबरा जाएंगे और कभी जीत हासिल नहीं कर पाएंगे। इस बात को श्रीरामचरित मानस के एक प्रसंग से समझ सकते हैं...
अपनी शक्ति पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है
श्रीरामचरित मानस के एक प्रसंग में जब भगवान श्रीराम के साथ वानर सेना समुद्र के किनारे तक पहुंच गई, तब यह विचार किया जाने लगा कि समुद्र को कैसे पार किया जाए। उसी समय लंका में भी भावी युद्ध को लेकर चर्चा चल रही थी। रावण ने जब इस संबंध में अपने मंत्रियों से राय मांगी तो लगभग सभी मंत्रियों ने कहा कि जब देवताओं और दानवों को जीतने में कोई खास मेहनत नहीं करनी पड़ी तो मनुष्यों और वानरों से क्या डरना!
उस समय विभीषण ने रावण को बहुत समझाया कि श्रीराम से संधि कर लेनी चाहिए और सीता को आदर सहित श्रीराम को लौटा दिया जाना चाहिए। इससे युद्ध से बचा जा सकता है। विभीषण का मानना था कि श्रीराम से युद्ध करने पर राक्षस कुल का विनाश हो जाएगा। लेकिन विभीषण की बात सुनकर रावण को क्रोध आ गया और उसने विभीषण को लात मारकर लंका से निकाल दिया। इसके बाद विभीषण श्रीराम की शरण में पहुंचे। विभीषण को देखकर वानर सेना में खलबली मच गई। सुग्रीव ने श्रीराम को सुझाव दिया कि विभीषण रावण का छोटा भाई है, इसलिए इसे बंदी बना लेना चाहिए। सुग्रीव ने कहा कि हो सकता है, वह हमारी सेना का भेद लेने आया हो। इस पर श्रीराम ने सुग्रीव को जवाब दिया कि हमें अपनी ताकत और सामर्थ्य पर पूरा भरोसा है। विभीषण शरण लेने आया है, इसलिए उसे बंदी बनाना उचित नहीं होगा। अगर वह भेद लेने आया है, तो भी हम पर कोई संकट नहीं है। हमारी सेना का भेद लेकर भी वह कुछ नहीं कर सकेगा। इससे हमारा बल कम नहीं होगा। दुनिया में जितने भी राक्षस हैं, उन्हें अकेले लक्ष्मण ही क्षण भर में खत्म कर सकते हैं। इसलिए हमें विभीषण से डरना नहीं चाहिए, बल्कि उससे बात करनी चाहिए।
इस प्रसंग में यही बताया गया है कि व्यक्ति को अपनी शक्ति पर पूरा भरोसा होना चाहिए। इसी भरोसे के बल पर ही जीत हासिल की जा सकती है।
SOURCE - BHASKER

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